Saturday, November 20, 2021

आशीर्वाद की शक्ति। Edited & Published By Suraj Sir

आशीर्वाद की शक्ति। Edited & Published By Suraj Sir

कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडव और कोरव सेना आमने सामने डटी हुई थी। अचानक धर्मराज Yudishter बिना किसी अस्तर के कोरव पक्ष को और चल दिए।

पांडव और अन्य सैनिक धर्मराज को शत्रु पक्ष की और जाते देखकर आचार्य में पड़ गए।

Yudishtar सबसे पहले गुरुदेव द्रोणाचार्य की और बड़े उनके समक्ष झुक कर हाथ जोड़ते हुए आशीर्वाद की जचाना की।

गुरु द्रोण ने हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। Yudishtar ने आगे बड़ कर भीष्म पितमा के चरणों में सिर नवाया और बिनर्मता से बोले विवश्त
 से आप जैसे मार्गदर्शक और पितामह से युद्ध को प्रतिबद होना पड़ रहा है।

क्षमा मांगने और आशीर्वाद लेने आया हूं। भीष्म पितामह ने सिर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।

अर्जुन ने यह देखा तो उनके मुख पर चिंता की लहर दौड़ आई। वह समझ नही पा रहे थे की युद्धिष्टर को आखिर क्या हो गया है।

वह क्यों शत्रु पक्ष के दुरंधारो को चरणों में झुक रहे है। सारथी भगवान श्री कृष्ण अर्जुन की मनोदशा समझ गए और बोले पार्थ युदिष्टर ने गुरु और पितामह का आशीर्वाद प्राप्त कर आधा महाभारत जीत लिया है।

शेष तुम्हारे शोरय और युद्ध कौशल से जीता जाएगा।

अर्जुन समझ गए की श्री कृष्ण को प्रेरणा से ही धर्मराज Yudishtar शत्रु खेमे में आशीर्वाद लेने पोहंचे है।

ब्लॉग पड़ कर कैसा लगा। कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

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