जालोर। वर्षों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। 29 जुलाई की दोपहर दो से तीन बजे के बीच राफेल विमान भारत की सरजमीं पर उतरने वाले हैं। फ्रांस से यूएई होते हुए भारत आ रहे राफेल विमान को अंबाला एयरबेस पर उतारा जाएगा। अंबाला एयरबेस के आस-पास के तीन किलोमीटर के दायरे में धारा 144 लागू है। पूरा देश राफेल विमानों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पांच में से एक राफेल विमान को सुरक्षित भारत लेने की जिम्मेदारी विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी के कंधों पर है। अभिषेक त्रिपाठी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाले हैं, मगर राजस्थान से इनका गहरा रिश्ता है।
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अभिषेक त्रिपाठी का जन्म 9 जनवरी 1984 को राजस्थान के जालोर शहर में हुआ। यहीं पर रहकर अभिषेक ने आर्य वीर दल की शाखाओं में पहलवान बनकर कुश्ती के दांव पेच भी सीखे। दरअसल, उस समय अभिषेक के पिता अनिल त्रिपाठी जालोर शहर के ब्रह्मपुरी स्थित भूमि विकास बैंक में मैनेजर व माता मंजू त्रिपाठी सेल टैक्स विभाग में कार्यरत थीं। अभिषेक की शादी यूपी की प्रियंका त्रिपाठी से हुई है।
विंग कमांउडर अभिषेक त्रिपाठी के माता पिता शुरुआत में ब्रह्मपुरी में किराए के मकान में रहते थे। फिर इन्होंने राजेन्द्र नगर के गुर्जरों का बास में घर खरीदा था। वर्ष 2000 तक इनका परिवार यहीं पर रहा। फिर घर बेचकर इनका जयपुर शिफ्ट हो गया। छोटे भाई अनुभव त्रिपाठी के साथ अभिषेक का बचपन जालोर में ही बीता। दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई जालोर के इमानुएल सेकंडरी स्कूल से की। फिर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली से एमएससी करने के बाद अभिषेक ने जहां भारतीय वायुसेना ज्वाइन की। वहीं, उनके भाई अनुभव त्रिपाठी वर्तमान में अमेरिका में एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं।
भारतीय वायुसेना में रहकर आसमां की सैर करने वाले विंग कमांउडर अभिषेक त्रिपाठी को बचपन में कुश्ती दंगल काफी पसंद था। जालोर में रहने के दौरान पड़ोसी आर्य वीर दल के महामंत्री शिवदत्त आर्य की प्रेरणा से उन्होंने आर्य वीर दल की शाखा ज्वाइन की थी। 1997 में आर्य वीर दल जालोर में आयोजित जिला स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया था।
विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी व उसके भाई के साथ-साथ पिता भी बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। अभिषेक ने कई बार मेजर ध्यानचंद स्मृति क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में भी भाग लिया। पिता अनिल त्रिपाठी बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। जालोर से शुरुआती शिक्षा के बाद अभिषेक उच्च अध्ययन के लिए जयपुर आए गए थे। जयपुर के मानसरोवर स्थित सीडलिंग पब्लिक स्कूल से यहां से 11वीं और 12वीं उत्तीण की। वर्ष 2001 में एनडीए ज्वाइन की। फ्लाइंग लेफ्टिनेंट, स्क्वाडर्न लीडर से होते हुए विंग कमांडर के पद तक पहुंचे।
वर्षों के इंतजार और खासे विवादित रहे राफेल विमान आखिरकार भारत पहुंचने ही वाले हैं। इस उपलब्धि पर जालोर में भी खुशी की लहर है। विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी के बचपन को करीब से देखने वाले शिवदत्त आर्य बताते हैं कि माता-पिता ने इनकी बचपन में बहुत अच्छी तरह परवरिश कर देश की सेवा करने के लिए एक सपना देखा था, जो उन्होंने पूरा कर दिखाया और अब वे पूरे भारत के लिए गर्व के उस पल का हिस्सा बनने वाले हैं।
विंग कमांडर को बचपन में जालोर आर्य वीर दल में कुश्ती के दांव पेच सीखा चुके आर्य समाज प्रधान दलपत और अध्यक्ष कृष्ण कुमार कहते हैं कि विंग कमांडर त्रिपाठी हंसमुख मिजाज के व्यक्तित्व के धनी हैं। हमें गर्व है कि हमारा भी कुछ समय उनके साथ गुजरा। पूरे भारत को विंग कमांडर अभिषेक पर गर्व हो रहा है। यह हमारे लिए भी गर्व की बात है।
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